कविता

कविता

जो जलाना है तो तुम
जला दो किसी का अश्रु-सागर।

जो रंगना है रंग तो तुम
रंग डालो घृणा और द्वेष को।

जो फैंकना है पानी तो तुम
फैंक के ढहा दो दिलों की दीवारें।

जो गाने हैं गीत तो तुम
गा लो गीत मिलकर चरैवेति के।

जो उडाना है अबीर तो तुम
उड़ा दो खुशियों का अबीर।

मन की पिचकारी में भर के
प्रेम-ख़ुशी-हिम्मत-दया
आज खेल लो होली को तुम।

— डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी

डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी

नाम: डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी शिक्षा: विद्या वाचस्पति (Ph.D.) सम्प्रति: सहायक आचार्य (कम्प्यूटर विज्ञान) साहित्यिक लेखन विधा: लघुकथा, कविता, बाल कथा, कहानी सर्वाधिक अकादमिक प्रमाणपत्र प्राप्त करने हेतु रिकॉर्ड अंग्रेज़ी लघुकथाओं की पुस्तक रिकॉर्ड हेतु चयनित 12 पुस्तकें प्रकाशित, 8 संपादित पुस्तकें 32+ शोध पत्र प्रकाशित 40+ राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय सम्मान प्राप्त फ़ोन: 9928544749 ईमेल: chandresh.chhatlani@gmail.com डाक का पता: 3 प 46, प्रभात नगर, सेक्टर-5, हिरण मगरी, उदयपुर (राजस्थान) – 313 002 यू आर एल: https://sites.google.com/view/chandresh-c/about ब्लॉग: http://laghukathaduniya.blogspot.in/