दीपावली पर विशेष : उजास-वंदना
उजियारे का वंदन होगा ,
रोज़- रोज़ अभिनंदन होगा !
विजय माल ग्रीवा में होगी,
औ’ माथे पर चंदन होगा !
सघन तिमिर फिर से हारेगा,
दीपक जय का नंदन होगा !
सब कुछ होगा सुखद,मधुर,शुभ,
किंचित भी ना क्रंदन होगा !
सूरज ऊगेगा मावस को,
हर्षित सारा जन-मन होगा !
अंतरिक्ष से वसुंधरा तक,
उजियारामय कानन होगा !
समृध्दि के मेले- उत्सव,
कर्मठता ही वाहन होगा !
दीपों की हैं कई कतारें,
स्वच्छ-धवल घर-आंगन होगा !
रोशनियां गाती हैं नग़मे,
जीवन अब तो प्रहसन होगा !
“शरद”सुधारें हम सब निज छवि,
अब तो उजला दरपन होगा !
— प्रो. शरद नारायण खरे