“भाईदूज के अवसर पर”
भइया की लम्बी आयु का,
माँग रहीं है यम से वर।
मंगलतिलक लगाती बहना,
भाईदूज के अवसर पर।।
चन्द्रकला की तरह बढ़ो,
तुम उन्नति के सोपान चढ़ो।
शीतल-धवल रौशनी से,
आलोकित कर दो आँगन-घर।
मंगलतिलक लगाती बहना,
भाईदूज के अवसर पर।।
इक आँगन में खेले-कूदे,
इक आँगन में बड़े हुए,
मात-पिता की पकड़ अंगुली,
धरती पर हम खड़े हुए,
नहीं भूलना भइया मुझको,
तीज और त्यौहारों पर।
मंगलतिलक लगाती बहना,
भाईदूज के अवसर पर।।
कभी न भइया के उपवन में,
फैला तम का डेरा हो,
जीवन की खिलती बगिया में,
कभी न गम का घेरा हो,
सदा रहे मुस्कान सहज,
मेरे भाई के आनन पर।
मंगलतिलक लगाती बहना,
भाईदूज के अवसर पर।।
—
(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)