“मैंने भी मुस्कुराना छोड़ दिया”
तुमने जब आना जाना छोड़ दिया
मैंने भी मुस्कुराना छोड़ दिया
पहले मिलता जुलता था लोगों से
अब तो मिलना मिलाना छोड़ दिया
पूछती हैं मयखाने की दीवारें
क्या हुआ क्यूं आना-जाना छोड़ दिया
चांद करता रहा मनुहार मुझसे
मैंने लिखना लिखना छोड़ दिया
इश्क से कर लिया तौबा मैंने
गजल अब गुनगुनाना छोड़ दिया