कविता : भैया दौज का त्यौहार आया
भैया दौज का त्यौहार आया
बहन – भाई का प्यार लाया
परदेश से भेज रही बहना
मन्नत का कलावा
खुशहाली की रोली -अक्षत , चंदन
शुभ मुहूर्त में
पावन तिलक लगा के
हम सब बहनों को याद कर लेना ।
बचपन में माँ ने करवाई
समृद्ध संस्कारी यह रस्म
जिससे
खुल जाए सभी भाइयों का त्रिनेत्र
भस्म हो जाए कुदृष्टि
निरपेक्ष हो जाएँ नेत्र
रहे देश , विश्व में सुरक्षित
सारी बहन , बेटी ,नारीयाँ ।
दीपक को साक्षी मान के
पूर्ण प्रतीक नारियल पर टीका कर के
प्यारी नजरों की नजर उतार के
करूँ आरती अपने तीनों भाइयों की
लाए जीवन में पूर्ण – सम्पूर्णता ।
करूँ सर्वसत्ता से हाथ जोड़ के
सर्व विश्व भाइयों की
सुख , स्वास्थ्य , सम्पदा
सलामती और दीर्घायु की दुआ ।
किस्मत उनकी चमके
टूटे , दरकते भाई – बहनों के रिश्तों में
घुले ‘ मंजू ‘ मधु – सी मिठास की मधुरता
शुरू होए फिर मान – सम्मान का सिलसिला ।
मंजु गुप्ता
वाशी नवी मुम्बई
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