बाल कविता

तुमने ही सिखलाया

सेवा करना सदा सभी की,
तुमने ही सिखलाया बापू।
दीन जनों को गले लगाना,
तुमने ही सिखलाया बापू॥
बुरा न बोलो, बुरा न देखो,
बुरा न सुनो बताया बापू।
तन-मन-धन से हिंसा छोड़ो,
तुमने ही सिखलाया बापू॥

 

छुआछूत का भाव मिटाकर,
रहना हमें सिखाया बापू।
कमजोरों का साथ निभाओ,
तुमने ही बतलाया बापू॥
सत्य का साथ न छोड़ो चाहे,
दुःख हो यह समझाया बापू।
राष्ट्र एकता हेतु प्राण दे,
सबको पाठ पढ़ाया बापू॥

 

गर्व कभी नहीं करना कोई,
तुमने ही बतलाया बापू।
स्वाभिमान को कभी न भूलो,
ऐसा ज्ञान सिखाया बापू॥
जो कहते थे वही स्वयं भे,
तुमने कर दिखलाया बापू।
इसीलिए हैं कोटि नमन हे,
विश्ववंद्य कृशकाया बापू॥

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

3 thoughts on “तुमने ही सिखलाया

  • रविन्दर सूदन

    आदरणीय दीदी,
    बापू को लोग आजकल भूलते ही जा रहे हैं या भुलाया जा रहा है , ऐसे में आपकी
    जैसे रचनाओं से उन्हें काम से काम हम याद तो कर ही सकते हैं । सुन्दर रचना
    के लिए आपको बधाई ।

  • राजकुमार कांदु

    आदरणीय बहनजी ! आज जब राजनीति के नाम पर बापू के घोर अपमान हो रहा है ऐसे में आपने अपनी रचना द्वारा उनके आदर्शों का बखान कर उनके उत्कृष्ट राष्ट्रवादी कार्यों के लिए सही तरहसे उन्हें सम्मानित किया है । बहुत सुंदर रचना के लिए धन्यवाद ।

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    लीला बहन , बापू जी वाकई महान थे .सुन्दर रचना .

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