कर्म पर जब से मुझे विश्वास करना आ गया
कर्म पर जब से मुझे विश्वास करना आ गया
हार में भी जीत का आभास करना आ गया
ज़िन्दगी भी ज़िन्दगी जैसी लगी मुझको तभी
जब किसी के दर्द का अहसास करना आ गया
तीरगी मन की मिटी तो ये हुआ उसका असर
ज़िन्दगी के हर लम्हे को ख़ास करना आ गया
नोट देकर जब खरीदे वोट पायी कुर्सियाँ
जाहिलों को और फिर बकवास करना आ गया
आ गया जबसे हसीनों को मनाने का हुनर
पतझरों को प्यार का मघुमास करना आ गया
तुम मिले तो ज़िन्दगी फिर ज़िन्दगी लगने लगी
ज़िन्दगी को ज़िन्दगी से रास करना आ गया
तीर अपनो ने चलाये जब हुआ छलनी जिगर
दुश्मनों की बात पर विश्वास करना आ गया
सतीश बंसल
०२.०९.२०१७