गीतिका/ग़ज़ल

जब स्वयं के अवगुणो पर ध्यान धरना आ गया

जब स्वयं के अवगुणो पर ध्यान धरना आ गया
दूसरों की बात का सम्मान करना आ गया

गरदिशों के दौर ने दे दी मुझे ऐसी नज़र
कौन अपना है मुझे पहचान करना आ गया

जब किया खुद पर भरोसा तो हुआ ऐसा असर
मुश्किलें अपनी सभी आसान करना आ गया

देश की खातिर जवानों की शहादत देखकर
शोर्य का उनके मुझे गुणगान करना आ गया

जब सुनी गौरवमयी इतिहास की बातें मुझे
पूर्वजों के मान का सम्मान करना आ गया

सतीश बंसल
१७.०९.२०१७

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.