दोहे
1.सप्ताह का दिन रविवार,काम होते है हज़ार।
घर परिवार में गुज़ार, खुशियां मिले अपार।।
2.मौज सभी मिलकर करो,आया फिर रविवार।
अपनो से बातें करो,खुशी गम की हज़ार।।
3.नारे झूठे लगा रहे,राजनीति में आज।
वादे जनता से किये,नेता जी ने आज।।
4.धर्म जात में बंट गया,देखो अब इंसान।
आरक्षण की आग में, जल रहा हिंदुस्थान।।
5.राजनीति की नाव में ,बैठे सारे चोर।
लगी डूबने नाव जब,चोर मचाये शोर।।
6.ज्ञान किवानी खोल दे, मिटे मन का अज्ञान।
हो गुरुवर ऐसी कृपा,पाये हम सत ज्ञान।।
7.पढ़ते लाखो लोग है,ये गीता का ज्ञान।
गीता ज्ञान महान है,कोई बिरला जान।।
— राजेश पुरोहित