स्वैच्छिक गीतिका
चाहतें पूरी हों तो इसके लिए
मानने वाला भी अच्छा चाहिए
कौन सा सबको बगीचा चाहिए
सर छुपाने को तरीका चाहिए
आस पानी की सभी को है लगी
हर किसी को ही नदिया चाहिए
मिल हटाये बेडियाँ जो चुभ रही
कामयाबी में सलीका चाहिए
पेड़ तो हम सब लगाते ही नहीं
हां मगर सबको बताना चाहिए
सोचते सारे निभाये से खड़े
राह जाना भी लुभाना चाहिए
— रेखा मोहन