इतिहास

दिव्यांगों के आदर्श – श्री बच्चू सिंह (भाग 6 अंतिम)

विभाजन के समय आंतकवादियों पर कड़ाई और जरूरतमंदों का सहयोग करने से बच्चू सिंह की लोकप्रियता बढ़ती गई, इससे नेहरू और माउण्टबेटन को खतरा लगने लगा। नेहरू ने पटेल को पत्र लिखकर बच्चू सिंह के खिलाफ कार्यवाई की मांग की। गाँधी हत्या के बाद जब भरतपुर के राजा बृजेन्द्र अपने सहयोगियों के साथ रियासती क्षेत्रों को भारत के साथ मिलाने के लिए दिल्ली आए, तो नेहरू और माउण्टबेटन ने उनको गांधी वध का दोषी बताकर नजरबंद कर दिया और बच्चू सिंह को गिरफ्तार करने का निर्देश दिया।
पटेल ने बृजेन्द्र और उनके समर्थकों से समझौता करके उनके हितों को बचा लिया तथा बच्चू सिंह के इंग्लैंड चले जाने कि अफवाह उड़ाकर उनकी गिरफ्तारी नहीं होने दी। तब नेहरू के दबाव में विभाजन के विरुद्ध बच्चूसिंह का समर्थन करने पर आरएसएस पर प्रतिबन्ध लगाया गया और गाँधी हत्या में वयोवृद्ध स्वतन्त्रता संग्रामी वीर सावरकर को फंसाया गया।

पाकिस्तान के प्रश्न पर अब चूंकि भारत का एकीकरण होने लगा था, अतः भारत एकीकरण में माउंटबटन ने अपने समर्थक मेनन को पटेल का सचिव बना दिया, लेकिन गुप्त रूप से बच्चू सिंह को पटेल ने अपना सहयोगी बनाया और एकीकरण में साथ लिया। तब दक्षिण भारत में ब्रिटिश समर्थित पेरियार ने भारत की स्वतन्त्रता को काला दिवस के रूप में मनाया था और एकीकरण के विरुद्ध आंदोलन आरम्भ कर दिया था। इससे बच्चू सिंह और उनके समर्थकों की पेरियार और उसके समर्थकों से लड़ाई होने लगी।

संविधान निर्माण के समय विकलांगों और जरूरतमंदों के लिए संरक्षण हेतु अनुसूची में सुविधाएं रखी गईं, किन्तु उनके सभी प्रतिनिधियों को नेहरू ने बंदी बनाकर अपने समर्थकों को उनके क्षेत्र का प्रतिनिधित्व दिलवाया, जैसे भरतपुर और अलवर के महाराजा को कैद करके उनकी जगह अपने आदमी राजबहादुर को नियुक्त किया। अतः संविधान सभा में विकलांगों और जरूरतमंदों का प्रतिनिधि नहीं बन सका, परन्तु संविधान सभा का चुनाव हार चुके ब्रिटिश समर्थक और लाॅर्ड वेवेल के श्रममंत्री भीमराव अंबेडकर को मुस्लिम लीग की मदद से संविधान सभा पहुंचाया गया, जबकि जिस क्षेत्र का प्रतिनिधि अंबेडकर को माना गया था, वह क्षेत्र पाकिस्तान में था और वहाँ से पाकिस्तान की सभा में जोगिंदर नाथ मण्डल को चुना गया था।

विकलांगों और जरूरतमंदों के लिए संरक्षण हेतु अनुसूची में निश्चित सभी सुविधाएं प्राप्त करने की पात्रता के लिए अंबेडकर और माउंटबेटन ने अनुसूची (शेड्यूल) में ब्रिटिश शासन के समर्थक रहे समुदायों और भारत में अव्यवस्था करने वाले अपराधी गिरोहों को जाति (कास्ट) और जनजाति (ट्राइब) के रूप में नोट किया। इससे अनुसूचित सुविधाओं की पात्रता वाले अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति बने, किन्तु विकलांगों, जरूरतमंदों को कुछ नहीं दिया गया।

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इसको अवैध घोषित करने पर 1951 में प्रथम संविधान संशोधन करके उसे सही ठहरा दिया। इसके बाद बच्चू सिंह सीधी राजनीति में आए। 1952 में जहां नेहरू खुद बूथ-कैप्चरिंग करके चुनाव जीता, वहीं बच्चू सिंह जन-समर्थन से जीते। बच्चू सिंह ने विकलांगों और अन्य जरूरतमंदों के लिए कड़ाई की, तो जरूरतमंदों के लिए केलकर आयोग बनाया गया। इसके पीछे अम्बेडकर ने प्रथम एससी एसटी आयोग से मीणा, भील आदि कई मजबूत जतियों को आरक्षित समूह में शामिल करवाकर जन्म आधारित सुविधा के पक्ष में कर लिया।

लेकिन केलकर ने भी जब विकलांगों आदि की जगह जाट, राजपूत आदि जातियों और अन्य अपराधी समुदायों को नया पिछड़ा वर्ग बना कर आरक्षण देना तय किया, तब बच्चू सिंह को पता चला कि सबको छला गया है। इस धोखे पर जब बच्चू सिंह ने विरोध किया, तो अंबेडकर ने बच्चू सिंह का अपमान किया, इस पर बच्चू सिंह ने उसे गोली मार दी, और धमकाकर केलकर रिपोर्ट रद्द करा दी। 1957 के चुनावों में आरक्षण की जातियों का वोट न मिलने से बच्चू सिंह पराजित हुए, किन्तु वे डिगे नहीं। बच्चू सिंह ने सामाजिक कार्य संभाला और उनके भाई मानसिंह ने राजनीति।

1967 में हाथरस के क्रांतिकारी राजा महेंद्र प्रताप के आह्वान पर बच्चू सिंह मथुरा में रिकाॅर्ड मतों से विजयी हुए। उनके प्रभाव में विकलांगों और अन्य जरुरतमंदों की मांग फिर उठी, किन्तु 1968 में उनके सहयोगी दीनदयाल उपाध्याय की हत्या और 1969 में रहस्यमय तरीके से बच्चूसिंह की मृत्यु के बाद विकलांगों का तूफान शांत हो गया।

विजय कुमार सिंघल

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: [email protected], प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- [email protected], [email protected]