कविता

तुम्हें प्रेम नहीं अभिमान रहा

हे नर तुम्हें सदैव ही अभिमान रहा
यहीं नारी जीवन का त्रस्त रहा
सत्य युग हो
चाहे त्रेता
या फिर हो द्धापर
या कलयुग ही
यह त्रासदी युग युग में रहा
हे नर तुम्हें सदैव ही अभिमान रहा

इसका साक्षी
प्रमाण हैं
इतिहास के पन्नों में
अक्षर अक्षर में
शब्द शब्द में
वाक्यों का ही नहीं
बल्कि संपूर्ण पुस्तक का भी
यहीं सार रहा
हे नर तुम्हें सदैव ही अभिमान रहा

नारी जब भी करती है प्रेम
अपने अस्तित्व के अंश अंश से
निश्छल हृदय से
अंर्तमन से
तन से और
आत्मा से
उसका स्वाभिमान मर्यादा कर्त्तव्य से
बढकर प्रेम ही होता है
केवल प्रेम
किंतु तुम्हारें लिए सदैव ही अभिमान रहा

हे नर कभी तुमने मर्यादा के नाम पर
दिया वनवास मुझे
कभी कर्तव्यों के कारण
अजीवन प्रतीक्षा का संतप्त
कभी बांंटा भाईयों में
वचन के कारण
तो कभी हरण होने दिया वस्त्र को
नीति-नियम के कारण
कभी पथ्थर बनाया
सजा दिया दूसरे की पाप की
कभी अपने सम्मान के लिए
जौहर की वेदी पर बैठी
कभी सती हुई तेरे संग
तुमनें प्रेम में भी कर्तव्य समाज मर्यादा धर्म को प्रथामिकता दी
मैंने प्रत्येक युग में केवल प्रेम किया
किंतु तुम न कर सकें केवल प्रेम
तुम्हें प्रत्येक युग में अभिमान रहा

अर्पणा संंत सिंह

अर्पणा संंत सिंह

1- नाम–अर्पणा संंत सिंह 2- पिता का नाम-श्री संंत लाल सिंह 3- माता का नाम-सविता सिंह 4- पति का नाम-डाँक्टर राजेश कुमार सिंह 5- वर्तमान/स्थायी पता-फ्लैट नम्बर-5174, नर्मदा अपार्टमेंट, विजया गार्डेन्स, बारीडीह, जमशेदपुर, झारखंड 6- फोन नं-8789708260 वाट्स एप नं-9470359224 ई-मेल- [email protected] 7- जन्म -22/08/78 जन्म स्थान- जमशेदपुर (झारखंड) 8- शिक्षा - स्नातक विज्ञान से स्नातकोत्तर हिन्दी मे इंजीनियरिंग एन साफ्टवेयर एंड इनफोरमेशन टेक्नोलॉजी व्यवसाय- गृहस्वामिनी नामक पत्रिका का प्रकाशन 9- प्रकाशित रचनाओं की संख्या - 93 10- प्रकाशित रचनाओं का विवरण - दिल्ली से प्रकाशित " दैनिक हमारा मैट्रों " में 4 भोपाल से प्रकाशित " लोकजंग के अंतरा " मे 18 नोएडा से प्रकाशित "वर्तमान अंकुर " मे 19 गाजियाबाद से प्रकाशित "गज केसरी " मे 20 जोधपुर से प्रकाशित " नव एक्सप्रेस " मे 9 जयपुर से प्रकाशित " जागरूक जनता " मे 3 अकोदिया सम्राट" मे 5 छत्तीसगढ़ से प्रकाशित "नवप्रदेश " मे 9 ट्रू-टाइम्स " मे 3 पत्रिका मे कनाडा से प्रकाशित " पंजाब टूडे " मे दिल्ली और जमशेदपुर से प्रकाशित " राष्ट्र संवाद " जमशेदपुर से प्रकाशित पूरी दुनिया मे ई-पत्रिका में इटली रोम के अरीवा लिटेरारा मे 2 अचिन्त साहित्य मे 8 काव्य के सरताज मे 6 11 साहित्यिक उपलब्धियाँ - * देश के विभिन्न पत्र पत्रिका में लगभग 100 रचनाओं का प्रकाशन हो चुका है * दो रचनाओं का रोमानिया भाषा में अनुवाद कर प्रकाशित हुआ * एक का पंजाबी भाषा मे अनुवाद कर प्रकाशित किया गया *भारत विकास परिषद जमशेदपुर द्वारा सम्मानित किया गया * गृहस्वामिनी नामक पत्रिका का प्रकाशन और सम्पादन