कविता

विसर्जन

विसर्जित कर आई हूँ
वो मोह जिससे बेहद प्रेम से तुमसे जोड़ा था
वो माया जो तुम्हारी अनुभूति क्षण क्षण कराती थीं
वो लालसा तुम्हारे प्रेम की
वो आदत तुम्हारे प्रतीक्षा की
वो खेल तुम्हारे बिन बात के रूठ जाने की
वो कोशिश तुम्हें मानने की
वो हठ तुम्हें खुश देखने की
वो सपने तुम्हें महान देखने की
वो क्रोध कुंठा तुम्हारे तिरस्कार से मिली
वो दिन रात अंतर्द्वन्द्व को विसर्जित कर आई हूँ
हाँ वह खींच तान के रिश्ते को मैंने ही
शायद सिर्फ मैंने ही दोनों छोरों से पकड़ कर रखा था
उसे विसर्जित कर आई हूँ
सालों पहले भी किया था
थोड़ी सी मानसिक शांति के लिए
अपने हर इच्छाओं को विसर्जित
किंतु शायद कुछ अंश शेष रह गए थे
पूर्ण रूप से घनीभूत न हो सके थे
अवचेतन मन में एक चिंगारी सी दबी थी
तुम्हारे हवा देते ही मेरी इच्छाओं लालसाओं की
ज्वालामुखी फट आई थीं
उसके लावा मे मान सम्मान स्वाभिमान
सबकुछ भस्म कर के भी मिला
वह ही मानसिक तनाव क्लेश तुम्हारे उपेक्षा
वह ही आँसू वेदना असहनीय पीड़ा
चलों आज मैं वह नकारात्मकता का अंधकार विसर्जित कर आई हूँ
जानती हूँ कि यह सरल नहीं
लेकिन प्रयत्न किए बिना पराजित भी कैसे हो

अर्पणा संत सिंह

अर्पणा संंत सिंह

1- नाम–अर्पणा संंत सिंह 2- पिता का नाम-श्री संंत लाल सिंह 3- माता का नाम-सविता सिंह 4- पति का नाम-डाँक्टर राजेश कुमार सिंह 5- वर्तमान/स्थायी पता-फ्लैट नम्बर-5174, नर्मदा अपार्टमेंट, विजया गार्डेन्स, बारीडीह, जमशेदपुर, झारखंड 6- फोन नं-8789708260 वाट्स एप नं-9470359224 ई-मेल- arpana.arpana.singh@gmail.com 7- जन्म -22/08/78 जन्म स्थान- जमशेदपुर (झारखंड) 8- शिक्षा - स्नातक विज्ञान से स्नातकोत्तर हिन्दी मे इंजीनियरिंग एन साफ्टवेयर एंड इनफोरमेशन टेक्नोलॉजी व्यवसाय- गृहस्वामिनी नामक पत्रिका का प्रकाशन 9- प्रकाशित रचनाओं की संख्या - 93 10- प्रकाशित रचनाओं का विवरण - दिल्ली से प्रकाशित " दैनिक हमारा मैट्रों " में 4 भोपाल से प्रकाशित " लोकजंग के अंतरा " मे 18 नोएडा से प्रकाशित "वर्तमान अंकुर " मे 19 गाजियाबाद से प्रकाशित "गज केसरी " मे 20 जोधपुर से प्रकाशित " नव एक्सप्रेस " मे 9 जयपुर से प्रकाशित " जागरूक जनता " मे 3 अकोदिया सम्राट" मे 5 छत्तीसगढ़ से प्रकाशित "नवप्रदेश " मे 9 ट्रू-टाइम्स " मे 3 पत्रिका मे कनाडा से प्रकाशित " पंजाब टूडे " मे दिल्ली और जमशेदपुर से प्रकाशित " राष्ट्र संवाद " जमशेदपुर से प्रकाशित पूरी दुनिया मे ई-पत्रिका में इटली रोम के अरीवा लिटेरारा मे 2 अचिन्त साहित्य मे 8 काव्य के सरताज मे 6 11 साहित्यिक उपलब्धियाँ - * देश के विभिन्न पत्र पत्रिका में लगभग 100 रचनाओं का प्रकाशन हो चुका है * दो रचनाओं का रोमानिया भाषा में अनुवाद कर प्रकाशित हुआ * एक का पंजाबी भाषा मे अनुवाद कर प्रकाशित किया गया *भारत विकास परिषद जमशेदपुर द्वारा सम्मानित किया गया * गृहस्वामिनी नामक पत्रिका का प्रकाशन और सम्पादन