धन्यवाद !
समीर भाग कर दादाजी की गोद में आकर बैठ गया और बड़ी मासूमियत से कहने लगा दादा जी अंकित है ना.. मेरा दोस्त बहुत मज़े करता है उसकी किस्मत कितनी अच्छी है वो अभी सिंगापुर से आया है ममी पापा के साथ गया था। उसके घर में बहुत कुछ है दो महंगी गाड़ियाँ ढेर सारे महंगे खिलोने और भी बहुत कुछ है हमारे घर से बहुत सुंदर घर!
दादाजी मेरा तो पासपोर्ट भी नहीं बना वैसे भी ममी पापा कभी नहीं ले जाएंगे ! उनके पास पैसे भी नहीं हैं इतने… ये कहकर उदास होकर बैठ गया ।
दादाजी ने बड़े प्यार से सिर पर हाथ फेरा और कहा समीर ऐसा नहीं सोचते हर किसी के पास सब कुछ नहीं होता पर जो है उसी में खुशियाँ ढूंढनी चाहिये नहीं तो हम कभी खुश नहीं रह सकते , जो तुम्हारे पास है कुछ लोग उसे पाने के लिए भी तरसते हैं।
हमें सुबह उठ कर भगवान का धन्यवाद करना चाहिये कि उसने हमें कितनी अच्छी और स्वस्थ ज़िन्दगी दी है । कर्म अच्छे करने चाहिये और ऐसा सोचेंगे तो जो हमारे पास है हम उसका भी आन्नद नहीं उठा पाएंगें और अपना कीमती समय बर्बाद कर देंगे जो सबसे अनमोल है जो पैसो से भी वापिस नहीं पाया जा सकता!