विदाई !
जाना है छोड़ कर अब
जानती हूँ बाबा ये सब
पर जान कर अंजान रही
बात ह्रदय की न कही!
याद तो सभी आएंगे
पंछी वहाँ भी गाएंगे
मायका भी कैसा होता है
मन कहीं जिसे न खोता है!
ससुराल भी फर्ज है मेरा
जन्मदाता कुछ कर्ज है तेरा
कभी कभी मिलना होगा
ऐसे जीना सीखना होगा!
आँखों में दर्द दिखता है
ज़ख्म जैसे कोई रिसता है
लाख छुपाओ आंसू अपने
माना अधूरे रह गए सपने!
याद जब भी मैं आंऊगी
तुमको संग ही पाऊंगी
मैं न कभी तुम्हें भुलाऊंगी
अपने सारे फर्ज निभाऊंगी !
कामनी गुप्ता ***
जम्मू !