कविता

विदाई !

जाना है छोड़ कर अब
जानती हूँ बाबा ये सब
पर जान कर अंजान रही
बात ह्रदय की न कही!

याद तो सभी आएंगे
पंछी वहाँ भी गाएंगे
मायका भी कैसा होता है
मन कहीं जिसे न खोता है!

ससुराल भी फर्ज है मेरा
जन्मदाता कुछ कर्ज है तेरा
कभी कभी मिलना होगा
ऐसे जीना सीखना होगा!

आँखों में दर्द दिखता है
ज़ख्म जैसे कोई रिसता है
लाख छुपाओ आंसू अपने
माना अधूरे रह गए सपने!

याद जब भी मैं आंऊगी
तुमको संग ही पाऊंगी
मैं न कभी तुम्हें भुलाऊंगी
अपने सारे फर्ज निभाऊंगी !

कामनी गुप्ता ***
जम्मू !

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |