गीतिका/ग़ज़ल

चाहतों के लिबास

बिखरे जज्बातों की एक झड़ी जिन्दगी,
हर तरफ उलझनों से भरी जिन्दगी ।
भोर के तारे सी आसमां में सजी,
पल गुजरते ही ओझल हुई जिन्दगी ।
चाहतों के लिबासों में लिपटी मिली,
ढूंढने जब गई खोई सी जिन्दगी ।
आँखों में आँसू थे दिल मे तन्हाईयां,
भीड़ में भी अकेली मिली जिन्दगी ।
दौरे रूसवाईयों से वो घायल हुई,
अनकही दास्तां बन गई जिन्दगी ।
तेज आँधी में दीपक सी जलती हुई,
फड़फड़ाती हुई लौ सी जिन्दगी ।
दर्दे खामोशियों को समझ ना सके,
अनबुझी सी पहेली बनी जिन्दगी ।
टूटे ख्वाबों की गठरी समेटे हुए,
एक अधूरी कहानी बनी जिन्दगी ।
चाहतों के लिबासों में लिपटी मिली,
ढूंढने जब गई खोई सी जिन्दगी ।

नीतू शर्मा 'मधुजा'

नाम-नीतू शर्मा पिता-श्यामसुन्दर शर्मा जन्म दिनांक- 02-07-1992 शिक्षा-एम ए संस्कृत, बी एड. स्थान-जैतारण (पाली) राजस्थान संपर्क- [email protected]