कविता

जिंदगी….

जिंदगी
पढ़ रही हूं तुम्हें
किताबों की तरह….

हर दिन
एक नया पन्ना
कभी चुनौतियों से भरा
तो कभी
सरलता से जीवन पथ पर
आगे बढ़ जाना

कभी देती है तू
उम्मीदों से भरा आसरा
एक बेहतर अध्याय
कुछ अच्छा होने करने की आशा
तो कभी
आँखों में आंसुओं की नमी
जो जीवन पर्यन्त
अंतिम पन्नें तक पलकों को
भिगोए रखती है

जिंदगी
पढ़ रही हूं तुम्हें
किताबों की तरह…..

*बबली सिन्हा

गाज़ियाबाद (यूपी) मोबाइल- 9013965625, 9868103295 ईमेल- [email protected]