बाल दिवस पर प्रस्तुति : नयी सदी की खनक
धुंधलाने न दे नन्हें विटपों का सवेरा ,
उम्मीदों की उड़ानों से भरा है चेहरा ,
छोटे हैं पर सपने इनके खूब बड़े – बड़े ,
दे बड़ें इन्हें आकार आगे हैं ये बढ़ें ।
नयी तकनीकियों में झूल रहा है संसार ,
नोनिहालों का बचपन करे है ये दुश्वार ,
दे के इनको अपनी धरती – आसमान ,
नन्हें कदमों को भरने दें मन की उड़ान ।
सनातन संस्कृति के संस्कारों के संग ,
अपनी धड़कनों से धड़कनों में भरे रंग ,
ऑनलाइन बाल – लाल से संवाद करके ,
खिले रौनक दादा , नानी के सब रिश्तों पे।
नयी सदी के ये हैं चाँद , तारे ज़मीं पर ,
यही हैं ध्रुव , बुद्ध , इंदिरा , जवाहर जहां पर,
बनके चिराग चमकाएंगे चिराग देश का ,
लें संकल्प गर्भ न गिरा ‘ मंजु ‘ गर्भनाल का ।
— मंजु गुप्ता
वाशी ,नवी मुम्बई
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