कविता

अजीब है दुनिया

अजीब ये दुनिया
अजीब ये सिलसिला
क्यों लड़ते हैं लोग
क्या मिलता है इन्हें
बीज बोते हैं ये
तो पौधें उगेंगे ही
काँटा बोयेगें ये
तो काँटा चुभेंगा ही
क्यों नही सोचते लोग कि
उपर वाला भी देख रहा है
क्यों सताते हैं दुसरे को
क्या मिलता है इन्हें
एक बार भी प्रभु का
नाम नही आता
और गालियाँ सैकड़ो
याद है इन्हें
यही है इनकी कहानी
पछताएँगें ये एक दिन
जब दुनिया से विदा होगें
मिलकर रहना सिखों यारो
एकता में ही बल है!
बिजया लक्ष्मी

बिजया लक्ष्मी

बिजया लक्ष्मी (स्नातकोत्तर छात्रा) पता -चेनारी रोहतास सासाराम बिहार।