मुक्तक
प्रणय घड़ी की स्मृतियां, विस्मृत न कर देना,
तन न्योक्षावर मैं कर दूं, फिर छोड़ कभी न देना।
बांह पाश में जकड़ रहे हो, प्रेम पिपासु बन कर,
प्रेम रस का पान कर मधुकर, त्यज कभी न देना।।
बनकर तेरी एकबार, किसी और की न हो पाऊंगी,
छोड़ा जो मुझको तो जानो, जग की न हो पाऊंगी।
कपट प्रेम तेरा ठहरा तो, रोती कहां भ्रमण करूंगी,
वंचक बिन तेरे जग में, पल एक न जी पाऊंगी।।
हांथ पकड़ कर तू मेरा, चेतनत्व तक चलना,
छोड़ कभी मेरा आलिंगन, दूजा बांह न भरना।
ईश्वर से है प्रार्थना, पल भी दूर रहू जो तुमसे,
मन तड़पे बेचैन रहे, आनंद रहित हो रहना।।
🙏🙏🙏🙏🙏
।।प्रदीप कुमार तिवारी।।
करौंदी कला, सुलतानपुर
7537807761