अपना घर अपना होता है
अपना घर अपना होता है,
ये जीवन का सपना होता है।
बड़े शहर में घर का सपना,
केवल इक सपना होता है।
बड़े भाग्य होते हैं उनके,
जिनका घर अपना होता है।
आवक-जावक गुणा-भाग में,
जीवन भर खपना होता है।
कुछ सपने आँखों में होते,
कुछ पूरे कुछ आधे होते।
कहीं विवशता मजबूरी, तो
कहीं प्यार के वादे होते।
बड़े प्यार से तिनका-तिनका,
दीवारें चिनना होता है।
जीवन भर की आपाधापी,
इक छोटा सा घर दे पाती।
कभी-कभी ऐसी कोशिश भी,
आधी की आधी रह जाती।
दो पैसे में एक बचाना,
आधे पेट कभी सोना होता है।
जिस घर को हम कहते अपना,
सच में तो होता है सपना।
मिथ्या जग, मिथ्या है माया,
कुछ भी नहीं जगत में अपना।
छोड़ झमेला चौरासी का,
राम नाम जपना होता है।
— आनन्द विश्वास