गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

रोना मत ,
खोना मत !
हद से ज़्यादा,
सोना मत !
कांटे राह में,
बोना मत !
ख़ुदगर्ज़ तुम,
होना मत !
प्रेम, वफ़ा को,
धोना मत !
अपनेपन को,
खोना मत !
वक़्त बुरा पर,
रोना मत !
“शरद” और कुछ,
होना मत !
          — प्रो. शरद नारायण खरे

*प्रो. शरद नारायण खरे

प्राध्यापक व अध्यक्ष इतिहास विभाग शासकीय जे.एम.सी. महिला महाविद्यालय मंडला (म.प्र.)-481661 (मो. 9435484382 / 7049456500) ई-मेल[email protected]