इश्क़
जुस्तजू में प्यार की बैचैनी ओढ़ लेते हैं लोग
उम्र भर का रोग क्यों मोल ले लेते हैं लोग ।
ऐतबार का सिलसिला फना हो ही जाता है ,
बेरहम दिल से जब आईना तोड़ देते हैं लोग
शिकस्त कहो या इश्क़ की दीवानगी यारो ,
मौत से पहले ही कफन ओढ़ लेते हैं लोग !
अहसास दर्द का मुश्किल है समझना यारो ,
नासूर को बनाकर अदाएं जीना सीख लेते हैं लोग
दिल्लगी है सिर्फ एक मजाक का पैमाना ,
इश्क़ को बगाबत का नाम दे देते हैं लोग ।
वो क्या जानेंगे इश्क़ की गहराई यारो ,
मोह्हबत को मजाक का नाम दे देते हैं लोग ।
— वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़