लघुकथा— वही बीवी
”भाई शादी करनी है तो किसी ने किसी लड़की के लिए हां करनी पड़ेगी,” मोहन ने समझाया तो केवल बोला, ” मगर, उस की उम्र 19 वर्ष है और मेरी 45 वर्ष. फिर उस के पिताजी गहने के साथसाथ 3 लाख की एफडी मांग रहे हैं. हमारी जोड़ी नहीं जमेगी ?”
” और, उस दूसरी वाली में क्या कमी है ? उस से हां कर दो ?”
” वह पति द्वारा छोड़ी हुई चालाक महिला है. फिर, उस के पिताजी को बहुत ज्यादा माल चाहिए. वह मैं नहीं दे सकता हूं.”
” तब इस कम उम्र लड़की से शादी कर लो ? इस में क्या बुराई है ? पिताजी गरीब और सीधेसादे है. वे जानते है कि तुम शिक्षक हो, इसलिए उन्हों ने शादी के लिए हां की है. अन्यथा तुम जैसे उम्रदराज से वे शादी करने को राजी नहीं होते .”
” नहीं भाई ! हमारे बीच उम्र आड़े आ जाएगी. मैं घर पर अपना काम निपटा रहा होऊंगा और वह पड़ोस में ताकझांक कर रही होगी. मेरे शरीर और उस का शरीर को देखो. हमारा मेल संभव नहीं है.”
” यदि तुम्हें शादी करनी है तो कहीं न कहीं समझौता करना ही पड़ेगा ?” मोहन ने कहा तो केवल ने मोटरसाइकल दूसरी ओर मोड़ दी.
” अरे भाई ! अब किधर चल दिए ? घर चलो. वैसे भी घुमतेघुमते बहुत देर हो गई है,” मोहन ने केवल का कंधा पकड़ कर कहा.
” जब समझौता ही करना है तो मेरी पुरानी बीवी कौनसी बुरी है ! वह इस से कम में तो वही मान जाएगी,” कहते हुए उस ने मोटरसाइकल की गति तेज कर दी.
— ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”