मुक्तहरा
जिसे तुम देख रहे विकलांग उसे मत मान कभी कमजोर।
करे यदि कोशिश ला सकता वह जीवन में कल नूतन भोर।
रचे नित ही इतिहास यहाँ पर थाम चले कर जो श्रम डोर।
सदा वह मंजिल प्राप्त करे अपनी तम हो कितना घनघोर।।
पीयूष कुमार द्विवेदी ‘पूतू’
जिसे तुम देख रहे विकलांग उसे मत मान कभी कमजोर।
करे यदि कोशिश ला सकता वह जीवन में कल नूतन भोर।
रचे नित ही इतिहास यहाँ पर थाम चले कर जो श्रम डोर।
सदा वह मंजिल प्राप्त करे अपनी तम हो कितना घनघोर।।
पीयूष कुमार द्विवेदी ‘पूतू’