ग़ज़ल
उसकी खुशबू तमाम लाती है ।।
जो हवा घर से उसके आती है ।।
आज मौसम है खुश गवार बहुत ।
बे वफ़ा तेरी याद आती. है ।।
कितनी मशहूर हो गई है वो ।
कुछ जवानी शबाब लाती है ।।
टूटकर. मैं भी कसमकस में हूँ।
रात उलझन में बीत जाती है ।।
ओढ़ लेती बड़े अदब से वो ।
जब दुपट्टा हवा उड़ाती है ।।
यूँ तमन्ना तमाम रखता. हूँ ।
बेसबब. बात बदल जाती है ।।
हम भी दीवानगी से हैं गुजरे ।
जिंदगी मोड़ ढूढ लाती है ।
जुल्फ अपनी सियाह कर लेकिन ।
उम्र रंगत तेरी बताती. है ।
इश्क छिपता नही छिपाये से ।
कुछ निशानी भी बोल जाती है।।
उम्र कमसिन जरा सभल चलो।
आशिकी रोज आजमाती है ।।
मत करो याद इतनी शिद्दत से ।
नींद मेरी भी टूट जाती है ।।