गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

उसकी खुशबू तमाम लाती है ।।
जो हवा घर से उसके आती है ।।

आज मौसम है खुश गवार बहुत ।
बे वफ़ा तेरी याद आती. है ।।

कितनी मशहूर हो गई है वो ।
कुछ जवानी शबाब लाती है ।।

टूटकर. मैं भी कसमकस में हूँ।
रात उलझन में बीत जाती है ।।

ओढ़ लेती बड़े अदब से वो ।
जब दुपट्टा हवा उड़ाती है ।।

यूँ तमन्ना तमाम रखता. हूँ ।
बेसबब. बात बदल जाती है ।।

हम भी दीवानगी से हैं गुजरे ।
जिंदगी मोड़ ढूढ लाती है ।

जुल्फ अपनी सियाह कर लेकिन ।
उम्र रंगत तेरी बताती. है ।

इश्क छिपता नही छिपाये से ।
कुछ निशानी भी बोल जाती है।।

उम्र कमसिन जरा सभल चलो।
आशिकी रोज आजमाती है ।।

मत करो याद इतनी शिद्दत से ।
नींद मेरी भी टूट जाती है ।।

*नवीन मणि त्रिपाठी

नवीन मणि त्रिपाठी जी वन / 28 अर्मापुर इस्टेट कानपुर पिन 208009 दूरभाष 9839626686 8858111788 फेस बुक naveentripathi35@gmail.com