दर्जा
“सर,अब रिटायरमेंट के बाद क्या बेटे के पास अमेरिका में ही शिफ्ट होने का इरादा है”,अपने वरिष्ठ अधिकारी से मैंने पूछा।
“अरे नहीं यार,मैं तो अपने बेटे से मिलने भी अमेरिका नहीं जाता हूँ।यहाँ तक की सरकारी कार्य से भी कभी वहाँ जाने का काम पड़ता है तब भी नहीं बल्कि अपने जुनियर को भेज देता हूँ।वहाँ के एयरपोर्ट पर हम अफ्रो-एशियाई देशों के नागरिकों के साथ बड़ा ही दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाता है। हमें अलग क्यू में खड़ा रखा जाता है।बहुत ही अपमानपूर्ण लगता है।”
बात चल ही रही थी कि एक सज्जन चेम्बर में प्रवेश कर गये ।सीनियर अधिकारी ने भड़कते हुए उनसे कहा- “आप बिना अनुमति के अन्दर कैसे आ गए।आपको पता नहीं है कि मिलने के पूर्व अपाइन्टमेंट लेकर आना चाहिए।”
सॉरी सर,मुझे जल्दी थी और आज ही वापस.लौटना था।वैसे मैंने तीन घण्टे पहले से ही आपसे मिलने के लिए स्लीप भिजवा रखी थी और बाहर बैठकर इंतजार ही कर रहा था।आप पी.ए. से भी पुष्टि कर सकते हैं।”उस सज्जन ने कहा।
साहब ने भड़कते हुए कहा- “आप बाहर जाइये और थोड़ा इंतजार करें और जब भी आयें,परमिशन लेकर ही आयें।”
वे सज्जन अपना सा मुँह लेकर बाहर निकल गये और साहब बड़बड़ाने लगे- “ये प्रमोटी लोग मैनरलैस हैं,पता नहीं कैसे प्रमोशन पा लेते हैं।जरा भी तहजी़ब नहीं है।थोड़ा इंतजार भी इनसे किया नहीं जाता!”
और इधर मैं सोच रहा था कि अच्छा हुआ मैं सीधी भर्ती से नियुक्त हुआ हूँ वरना साहब मुझे भी अपना दर्जा दिखा देते।