लघुकथा

दर्जा

“सर,अब रिटायरमेंट के बाद क्या बेटे के पास अमेरिका में ही शिफ्ट होने का इरादा है”,अपने वरिष्ठ अधिकारी से मैंने पूछा।

“अरे नहीं यार,मैं तो अपने बेटे से मिलने भी अमेरिका नहीं जाता हूँ।यहाँ तक की सरकारी कार्य से भी कभी वहाँ जाने का काम पड़ता है तब भी नहीं बल्कि अपने जुनियर को भेज देता हूँ।वहाँ के एयरपोर्ट पर हम अफ्रो-एशियाई देशों के नागरिकों के साथ बड़ा ही दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाता है। हमें अलग क्यू में खड़ा रखा जाता है।बहुत ही अपमानपूर्ण लगता है।”

बात चल ही रही थी कि एक सज्जन चेम्बर में प्रवेश कर गये ।सीनियर अधिकारी ने भड़कते हुए उनसे कहा- “आप बिना अनुमति के अन्दर कैसे आ गए।आपको पता नहीं है कि मिलने के पूर्व अपाइन्टमेंट लेकर आना चाहिए।”

सॉरी सर,मुझे जल्दी थी और आज ही वापस.लौटना था।वैसे मैंने तीन घण्टे पहले से ही आपसे मिलने के लिए स्लीप भिजवा रखी थी और बाहर बैठकर इंतजार ही कर रहा था।आप पी.ए. से भी पुष्टि कर सकते हैं।”उस सज्जन ने कहा।

साहब ने भड़कते हुए कहा- “आप बाहर जाइये और थोड़ा इंतजार करें और जब भी आयें,परमिशन लेकर ही आयें।”

वे सज्जन अपना सा मुँह लेकर बाहर निकल गये और साहब बड़बड़ाने लगे- “ये प्रमोटी लोग मैनरलैस हैं,पता नहीं कैसे प्रमोशन पा लेते हैं।जरा भी तहजी़ब नहीं है।थोड़ा इंतजार भी इनसे किया नहीं जाता!”

  और इधर मैं सोच रहा था कि अच्छा हुआ मैं सीधी भर्ती से नियुक्त हुआ हूँ वरना साहब मुझे भी अपना दर्जा दिखा देते।

*डॉ. प्रदीप उपाध्याय

जन्म दिनांक-21:07:1957 जन्म स्थान-झाबुआ,म.प्र. संप्रति-म.प्र.वित्त सेवा में अतिरिक्त संचालक तथा उपसचिव,वित्त विभाग,म.प्र.शासन में रहकर विगत वर्ष स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ग्रहण की। वर्ष 1975 से सतत रूप से विविध विधाओं में लेखन। वर्तमान में मुख्य रुप से व्यंग्य विधा तथा सामाजिक, राजनीतिक विषयों पर लेखन कार्य। देश के प्रमुख समाचार पत्र-पत्रिकाओं में सतत रूप से प्रकाशन। वर्ष 2009 में एक व्यंग्य संकलन ”मौसमी भावनाऐं” प्रकाशित तथा दूसरा प्रकाशनाधीन।वर्ष 2011-2012 में कला मन्दिर, भोपाल द्वारा गद्य लेखन के क्षेत्र में पवैया सम्मान से सम्मानित। पता- 16, अम्बिका भवन, बाबुजी की कोठी, उपाध्याय नगर, मेंढ़की रोड़, देवास,म.प्र. मो 9425030009