सामाजिक

लेख

मानव के भीतर अपार क्षमता है। मुश्किल यही है कि हम अपनी क्षमताओं से अनभिज्ञ हैं। हमें ज्ञात ही नहीं कि हम क्या कर सकते हैं। हम सब पूरे जीवन में अपनी क्षमता का एक क्षुद्र भाग का ही उपयोग कर पाते हैं। हम सब उस सर्वशक्तिमान के हस्ताक्षर हैं, उसी का अंश हैं तो हम शक्तिहीन कैसे हो सकते हैं? हाँ कभी किसी कार्य में असफल अवश्य हो सकते हैं लेकिन वो असफलता बहुधा अनुभव या प्रयास की कमी के कारण होती है, क्षमता की कमी के कारण तो कतई नहीं। वो असफलताएं भी आपको और आपके जीवन में उपस्थित अन्य लोगों के लिए सीख होती हैं बशर्ते आप सीखने के इच्छुक हों। जितनी शक्ति, जितना सामर्थ्य, जितने विचार हमारे भीतर विद्यमान हैं उतने सृष्टि में किसी अन्य जीव के पास नहीं हैं। इस सृष्टि में ऐसा कुछ भी नहीं जो मनुष्य के लिए असंभव हो। आवश्यकता है केवल अपनी शक्ति को पहचानने की, दृढ़ संकल्प की, मजबूत इच्छाशक्ति की। जिस दिन आप अपनी क्षमताओं को पहचान लेंगे उस दिन आपके जीवन को एक नया अर्थ मिलेगा और आप दूसरे लोगों के लिए भी प्रेरणास्रोत बन सकेंगे।

मंगलमय दिवस की शुभकामनाओं सहित आपका मित्र :- भरत मल्होत्रा।

*भरत मल्होत्रा

जन्म 17 अगस्त 1970 शिक्षा स्नातक, पेशे से व्यावसायी, मूल रूप से अमृतसर, पंजाब निवासी और वर्तमान में माया नगरी मुम्बई में निवास, कृति- ‘पहले ही चर्चे हैं जमाने में’ (पहला स्वतंत्र संग्रह), विविध- देश व विदेश (कनाडा) के प्रतिष्ठित समाचार पत्र, पत्रिकाओं व कुछ साझा संग्रहों में रचनायें प्रकाशित, मुख्यतः गजल लेखन में रुचि के साथ सोशल मीडिया पर भी सक्रिय, सम्पर्क- डी-702, वृन्दावन बिल्डिंग, पवार पब्लिक स्कूल के पास, पिंसुर जिमखाना, कांदिवली (वेस्ट) मुम्बई-400067 मो. 9820145107 ईमेल- [email protected]