कविता सपना नीतू शर्मा 'मधुजा' 01/12/2017 पानी का बुलबुला ठहरकर भी कब तक ठहर पाता उसे फूटना ही था… एक सपना वो सपना ही तो था एक न एक दिन जिसे टूटना ही था…