प्रभु की बगिया
मुझे प्रभु तेरी बगिया में आना है
तेरे फूलों से मन महकाना है-
1.इक फूल हो धीरज का दाता
जो मिल जाए शीश धरूं दाता
तेरी रज़ा में ही शुक्र मनाना है
तेरे फूलों से मन महकाना है-
2.इक फूल हो शांति का दाता
रहूं दूर मैं क्रांति से दाता
भ्रांति में ही शुक्र मनाना है
तेरे फूलों से मन महकाना है-
3.इक फूल संतोष का हो स्वामी
मिले जितना सुखी रहूं हे स्वामी
उतने से ही शुक्र मनाना है
तेरे फूलों से मन महकाना है-
4.इक फूल सहन की शक्ति हो
मिलें कष्ट भले तेरी भक्ति हो
तेरी भक्ति में मन को रमाना है
तेरे फूलों से मन महकाना है-
5.इक आस दरस की है भगवन
अभिलाष मोक्ष की है भगवन
गुरु-दरश का पर्व मनाना है
तेरे फूलों से मन महकाना है-
(तर्ज़- छड दे, छड दे पीताम्बर राधे जाण दे नी———-)