और उम्र ढलती जाती है !
कभी उलझ जाते हैं
कभी सुलझ जाते हैं
हमसफर संग चलते चलते
कुछ रिश्ते बदल जाते हैं
और उम्र ढलती जाती है !
कुछ बिछड़ जाते हैं
कुछ मिल जाते हैं
कुछ नए से रिश्ते
फिर यूं ही बन जाते हैं
और यादें जागती जाती हैं !
बचपन यादें बन जाती है
जवानी हाथ से निकल जाती है
थोड़े सयाने होते जाते हैं
बचपन को न भूल पाते हैं
और ज़िन्दगी गुज़रती जाती है !
कामनी गुप्ता ***
जम्मू !