गीतिका/ग़ज़ल

गज़ल

बनी अब जिंदगी हो भार तय है
अदालत में हमारी हार तय है|
लगा ये आदते में सोच फ़ानी
मिला जो भी भला किरदार तय है |
पहन कर जो दिखे दस्तार सर पे
असल नेता हुआ सरदार तय है |
दिखे पीछे छुपे दीवार तय है
करे मालिक लिखा एतवार तय है|
दिखे सोदा खड़े हकदार जमा है
करे नफरत भरी दरकार तय है |
वचा अब ना कही अखबार में ये
लिखी सबमे लुटे-मारी ही तय है |
बढ़ी रफ्तार तो जाना नतीज़ा
भरा वाजार में हकदार तय है |

रेखा मोहन 

*रेखा मोहन

रेखा मोहन एक सर्वगुण सम्पन्न लेखिका हैं | रेखा मोहन का जन्म तारीख ७ अक्टूबर को पिता श्री सोम प्रकाश और माता श्रीमती कृष्णा चोपड़ा के घर हुआ| रेखा मोहन की शैक्षिक योग्यताओं में एम.ऐ. हिन्दी, एम.ऐ. पंजाबी, इंग्लिश इलीकटीव, बी.एड., डिप्लोमा उर्दू और ओप्शन संस्कृत सम्मिलित हैं| उनके पति श्री योगीन्द्र मोहन लेखन–कला में पूर्ण सहयोग देते हैं| उनको पटियाला गौरव, बेस्ट टीचर, सामाजिक क्षेत्र में बेस्ट सर्विस अवार्ड से सम्मानित किया जा चूका है| रेखा मोहन की लिखी रचनाएँ बहुत से समाचार-पत्रों और मैगज़ीनों में प्रकाशित होती रहती हैं| Address: E-201, Type III Behind Harpal Tiwana Auditorium Model Town, PATIALA ईमेल [email protected]