कविता

हे राम तुम्हें आना होगा, हे राम तुम्हें….

हे राम तुम्हें आना होगा, हे राम तुम्हें…
जन्म हुआ था कहां आपका,
आप स्वयम् बतलाना होगा।
हे राम तुम्हें आना होगा, हे राम तुम्हें…

नर-नारी वाले सेवक सब लड़ते हैं,
कोई कोर कल्पना, सत्य कोई कहते हैं।
आप हुए थे अवध की माटी के बालक,
सत्य सभी को आकर ही बतलाना होगा।

हे राम तुम्हें आना होगा, हे राम तुम्हें…

जननायक बन राम सेवक मरवाया जिसने,
साधु संत पर तप्त लौह बरसाया जिसने।
बाहुबली हैं सत्ता वाले सभी निरंकुश,
आकर स्वयं पहचान उन्हे बतलाना होगा।।

हे राम तुम्हें आना होगा, हे राम तुम्हें…

कुछ कहते हैं दशरथ वशरथ कहां हुए था,
लव-कुश वाला बाप राम कहां हुआ था,
कोर कल्पना रामचरित हिंदू संतों का,
साधु संत का सत्य राम बतलाना होगा।

हे राम तुम्हें आना होगा, हे राम तुम्हें…

बाबर वाली मस्जिद पर हुआ जन्म तुम्हारा है,
या कोई और जन्मस्थली जिसे भूला जग सारा है।
जन्मभूमि पर मंदिर हो, चाह सभी सनातनी का,
जन्म अवतरण जैसे भी हो, सत्य आज बतलाना होगा।

हे राम तुम्हें आना होगा, हे राम तुम्हें…

जन्म हुआ था कहां आपका,
आप स्वयम् बतलाना होगा।

हे राम तुम्हें आना होगा, हे राम तुम्हें…

🙏🙏🙏🙏🙏
।। प्रदीप कुमार तिवारी।।
करौंदी कला, सुलतानपुर
7978869045

प्रदीप कुमार तिवारी

नाम - प्रदीप कुमार तिवारी। पिता का नाम - श्री दिनेश कुमार तिवारी। माता का नाम - श्रीमती आशा देवी। जन्म स्थान - दलापुर, इलाहाबाद, उत्तर-प्रदेश। शिक्षा - संस्कृत से एम ए। विवाह- 10 जून 2015 में "दीपशिखा से मूल निवासी - करौंदी कला, शुकुलपुर, कादीपुर, सुलतानपुर, उत्तर-प्रदेश। इलाहाबाद मे जन्म हुआ, प्रारम्भिक जीवन नानी के साथ बीता, दसवीं से अपने घर करौंदी कला आ गया, पण्डित श्रीपति मिश्रा महाविद्यालय से स्नातक और संत तुलसीदास महाविद्यालय बरवारीपुर से स्नत्कोतर की शिक्षा प्राप्त की, बचपन से ही साहित्य के प्रति विशेष लगव रहा है। समाज के सभी पहलू पर लिखने की बराबर कोशिस की है। पर देश प्रेम मेरा प्रिय विषय है मैं बेधड़क अपने विचार व्यक्त करता हूं- *शब्द संचयन मेरा पीड़ादायक होगा, पर सुनो सत्य का ही परिचायक होगा।।* और भ्रष्टाचार पर भी अपने विचार साझा करता हूं- *मैं शब्दों से अंगार उड़ाने निकला हूं, जन जन में एहसास जगाने निकला हूं। लूटने वालों को हम उठा-उठा कर पटकें, कर सकते सब ऐसा विश्वास जगाने निकला हूं।।* दो साझा पुस्तके जिसमे से एक "काव्य अंकुर" दूसरी "शुभमस्तु-5" प्रकाशित हुई हैं