लघुकथा

गर्व-हीन भावना

टैक्सी में बैठते ही उसके दिल की धड़कन और भी तेज़ हो गयी, वह मन ही मन सोचने लगा,

“साहब को क्या सूझी जो अंग्रेज मेहमान को लाने के लिये मुझे भेज दिया, मैं उससे बात कैसे करूं पाऊंगा? माँ-बाप ने भी जाने क्या सोचकर मुझे हिंदी स्कूल में पढाया, आज अंग्रेजी जानता होता तो पता नहीं क्या होता? इस हिंदी ने तो मेरा जीवन ही…”

अचानक वाहन-चालक ने बहुत तेज़ी से ब्रेक लगाये, उसका शरीर और विचार दोनों हिल गए, उसने आँखें तरेरते हुए चालक से पूछा, “क्यों बे? क्या हुआ?”

“सर, वन बुल वाज़ क्रॉसिंग द रोड (श्रीमान, एक बैल रास्ता पार कर रहा था)”

चालक का उत्तर सुनते ही वह चौंका, उसने कुछ कहने के लिये मुंह खोला और फिर कुछ सोच कर अगले ही क्षण होंठ चबाते हुए उसने आँखें घुमा लीं।

उसके विचारों में अब अंग्रेजी के अध्यापक आ गये, जो अपने हाथ से ग्लोब को घुमाते हुए कहते थे, “इंग्लिश सीख लो, हिंदी में कुछ नहीं रखा। नहीं सीखी तो जिंदगी भर एक बाबू ही रह जाओगे।”

उसे यह बात आज समझ में आई,  टैक्सी तब तक हवाई अड्डे पहुँच चुकी थी। विदेशी मेहमान उसका वहीँ इन्तजार कर रहा था।

गोरे चेहरे को देखकर उसकी चाल तेज़ हो गयी, अपनी कमीज़ को सही कर, लगभग दौड़ता हुआ वह विदेशी मेहमान के पास गया और हाथ आगे बढ़ाता हुआ बोला, “हेल्लो सर…”

उस विदेशी मेहमान ने भी उसका हाथ थामा और दो क्षणों पश्चात् हाथ छोड़कर दोनों हाथ जोड़े और कहा,

“नमस्कार, मैं आपके… देश की मिट्टी… से बहुत प्यार करता हूँ… और आपकी मीठी भाषा हिंदी… का विद्यार्थी हूँ…”

सुनते ही उसे मेहमान के कपड़ों पर लगे विदेशी इत्र की सुगंध जानी-पहचानी सी लगने लगी

डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी

नाम: डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी शिक्षा: विद्या वाचस्पति (Ph.D.) सम्प्रति: सहायक आचार्य (कम्प्यूटर विज्ञान) साहित्यिक लेखन विधा: लघुकथा, कविता, बाल कथा, कहानी सर्वाधिक अकादमिक प्रमाणपत्र प्राप्त करने हेतु तीन रिकॉर्ड अंग्रेज़ी लघुकथाओं की पुस्तक के दो रिकॉर्ड और एक रिकॉर्ड हेतु चयनित 13 पुस्तकें प्रकाशित, 10 संपादित पुस्तकें 33+ शोध पत्र प्रकाशित 50+ राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय सम्मान प्राप्त फ़ोन: 9928544749 ईमेल: [email protected] डाक का पता: 3 प 46, प्रभात नगर, सेक्टर-5, हिरण मगरी, उदयपुर (राजस्थान) – 313 002 यू आर एल: https://sites.google.com/view/chandresh-c/about ब्लॉग: http://laghukathaduniya.blogspot.in/

4 thoughts on “गर्व-हीन भावना

  • विधिशा राय

    देश की मिट्टी से जुड़ी भावपूर्ण लधुकथा

    • डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी

      बहुत-बहुत आभार

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छी लघुकथा

    • डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी

      बहुत-बहुत आभार

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