जिंदगी तुम हो हमारी और तुम से जिंदगी है
जिंदगी तुम हो हमारी और तुम से जिंदगी है
जानकर अपना तुम्हें हम हो गए अनजान खुद से
दर्द है क्यों अब तलक अपना हमें माना नहीं नहीं है
अब सुबह से शाम तक बस नाम तेरा है लबों पर
साथ हो अपना तुम्हारा और कुछ पाना नहीं है
गर कहोगी रात को दिन दिन लिखा बोला करेंगे
गीत जो तुमको ना भाए वह हमें गाना नहीं है
गर खुदा भी रूठ जाये तो मुझे मंजूर होगा
पास वह अपने बुलाये तो हमें जाना नहीं है
जिंदगी तुम हो हमारी और तुम से जिंदगी है
ये भला किसको बतायें और कुछ पाना नहीं है
मदन मोहन सक्सेना