हास्य व्यंग्य

मगध के पियक्कड़ चूहे

धन्य है मगध की वीर प्रसू धरती जिसने एक से बढ़कर एक महापुरुषों को जन्म दिया है I मगध के राज सिंहासन का गौरव बढ़ानेवाले राजाओं में चालू प्रसाद का नाम अग्रणी है I उन्होंने कई दशकों तक मगध के सिंहासन पर बैठकर सेकुलरवाद की रोटी तोड़ते हुए लोकतंत्र का अंतिम संस्कार किया था I उन्होंने हमेशा सरकारी संपत्ति को अपने पिताश्री की संपत्ति समझा I राजनीति तो चौर्य कला की सबसे बड़ी पाठशाला है लेकिन राजनीति में रहते हुए भी चालूजी चौर्य- कला में पारंगत नहीं हो पाए थे I उन्होंने पूर्ण मनोयोग से सरकारी संपत्ति का दोहन- निगलन किया लेकिन चौर्य- कला में पारंगत नहीं होने के कारण पकड लिए गए I चालू प्रसाद विगत बीस वर्षों से कानून को उसकी औकात दिखा रहे हैं और जन धन को लूटने के बावजूद ‘सत्यमेव जयते’ को मुंह चिढाते हए आजाद घूम रहे हैं और सेकुलरवाद के सबसे बड़े पुरोधा बने हुए हैं I जातिवाद और परिवारवाद उनके सेकुलरवाद को खाद और पानी मुहैया कराता है I कानून उनके लिए खेत की मूली बना हुआ है I चालू प्रसाद पारस पत्थर के समान हैं, उन्होंने जिस व्यक्ति का स्पर्श किया उसे सोना बना दिया I मगध के असंख्य गिरहकटों, तस्करों, माफिया सम्राटों को उन्होंने विधायक, सांसद बनाकर देश की मुख्य धारा में शामिल कर दिया I उन्होंने ‘चालूनामा’ पुस्तक के मशहूर लेखक दुर्नीति प्रसाद को राज्य सभा का सदस्य बना दिया I जब चालू प्रसाद जेल गए थे तो उन्होंने अपनी परम विदूषी अर्धांगिनी और दस बच्चों की माता चमेली देवी को मगध की सम्राज्ञी बना दिया था I मगध के सिंहासन पर बैठकर अंगूठा छाप देवी जी ने वर्षों तक मगध की जनता को अशिक्षा और अधिक बच्चा उत्पादन का संदेश दिया I उन्होंने “मोर चाइल्ड, मोर मनी” का नारा दिया जिसका जनता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा और मगध की जनता अपनी रानी के नारे को सफल बनाने में प्राणपन से जुट गई I वे कबीरदास की परंपरा का अनुसरण करनेवाली रानी थीं- मसि कागद छुयो नहीं, कलम गही नहीं हाथ I अब उनके दो अपढ़ पुत्र मंत्री बनकर लोकतंत्र की लाज लूट रहे हैं I भारत का लोकतंत्र बड़ा ही लचीला और न्यायतंत्र खर्चीला है I वर्षों तक मुकदमों का घिसटना न्यायतंत्र की अद्भुत विशेषता है जिसे विश्व के अन्य देशों को अपनाना चाहिए I

उसी मगध की धरती पर निवास करनेवाले चूहे आजकल तनाव में हैं I उनके तनाव को दूर करने के लिए मगध में अनेक तनाव मुक्ति केंद्र खुल गए हैं I तनाव इसलिए कि मनुष्यों ने उनपर एक गंभीर आरोप लगाया है I चूहों पर आरोप है कि वे नौ लाख लीटर शराब पी गए I इस मसले पर विचार- विमर्श करने के लिए चूहों की आपात बैठक आयोजित की गई है I इस बैठक में सभी रंगों, वर्गों, जातियों और प्रजातियों के चूहों को आमंत्रित किया गया है I यह चूहों के इतिहास की पहली और शायद आखिरी घटना है I भूतो न भविष्यति I ऐसी एक अभूतपूर्व घटना जिसने चूहा जगत को आंदोलित कर दिया है I चूहों का ऐसा अपमान तो कभी नहीं हुआ I शराब खुद गटक गए और बदनाम चूहों को कर दिया I आदमी का न सही, चूहों का कुछ धरम- ईमान है या नहीं I आदमी कितना गिरेगा I चूहा बिरादरी को एक बूँद भी शराब मयस्सर हुई होती तो मनुष्यों के पाप अपने सिर पर ले भी लेते, पर खाया- पिया कुछ नहीं, बदनाम हुए अकारण I चूहा जगत का सिर शर्म से झुक गया है I माना कि आदमी द्वारा उत्पादित अनाज को चूहे खा जाते हैं परन्तु आदमी इसका बदला चूहों से इस तरह लेगा, इसकी कल्पना भी नहीं की थी I चूहों का स्वर्णिम इतिहास आज कलंकित हो गया I पहली बार मिर्ज़ा ग़ालिब के जीवित नहीं होने का दुःख हो रहा है I आज यदि ग़ालिब जीवित होते तो लिखते-

ग़ालिब शराब पी गए, थाने में बैठकर I

मूसक गरीब को ही बदनाम कर दिया II

यदि बच्चन जी भी जिन्दा होते तो चूहा जगत की बदनामी से द्रवित होकर अवश्य लिखते-

क्षीण, क्षुद्र, क्षणभंगुर मानव, करता रहता घोटाला I

गाज गिरी नाहक चूहों पर, मगन रहा पीनेवाला II

ऐसा आयोजन पहली बार किया जा रहा है I यह चूहों की आम सभा है I इस सभा में मनुष्यों को नहीं बुलाया गया है I मैं एक अपवाद हूँ I मुझे इस बैठक में अपना अनुभव साझा करने के लिए आमंत्रित किया गया है क्योंकि मैं तो घोषित पियक्कड़ हूँ I मैं हिंदी का एक अदना – सा खेमाहीन लेखक हूँ I हिंदी में खेमाहीन लेखक टके सेर बिकते हैं और बिन बुलाए ही पहुँच जाते हैं I हिंदी के लेखकों के लिए खेमा बनाना पहली पात्रता मानी गई है I भले ही उसे  हिंदी के भूगोल- इतिहास का ज्ञान न हो लेकिन यदि उसने किसी खेमे में दाखिला ले लिया, किसी जनवादी या संघवादी मठाधीश का चरणामृत पान कर लिया तो उसकी मुक्ति, उसका  उद्धार निश्चित है I मैं अदना लेखक इसलिए हूँ कि मेरे पीछे न तो वामपंथ की पतनशील दीवार है, न संघ का आशीर्वचन I वह लेखक ही क्या जो शराब में डूबता- उतराता न हो और शबाब को देखकर दो- चार मांसल दोहों- चुटकुलों की फूलझड़ी न छोड़ता हो I पीने के बाद ही मेरी लेखनी रफ़्तार पकडती है I पीने –पिलाने के मामले में मैं समानतावादी हूँ I सभी ब्रांड मेरे लिए समान हैं I मैं सभी ब्रांड की शराब पीता हूँ, देशी- विदेशी, पक्की- कच्ची सब मेरे लिए समान हैं I कोई भेदभाव नहीं करता I मैं शराबबंदी का घोर विरोधी हूँ क्योकि यही तो एक ऐसा पेय है जो बिना किसी तपस्या के ईश्वर से साक्षात्कार कराता है और मनुष्यों के बीच के वर्ग विभाजन को समाप्त कर देता है I पीने के बाद अमीर- गरीब सभी एक समान I जिन- जिन राज्य सरकारों ने शराबबंदी की, उन- उन राज्यों में जाकर मैंने खूब शराब पी और इस प्रकार मैंने पाखंडी शराब नीति का प्रतिरोध किया I विरोध करने का यह मेरा अपना देशी तरीका है I मैं अक्सर गुजरात जाता हूँ, बार-बार जाता हूँ और खूब पीता हूँ I मुझे तो कभी महसूस नहीं हुआ कि वहां शराबबंदी भी है I आप इशारा करें और शराब की पेटी आपके सामने हाजिर I मैं नागालैंड भी बार- बार जाता हूँ I सुना था कि वहां भी मद्य निषेध है I मुझे तो ऐसा कभी नहीं लगा I दुकानों में केवल बोर्ड नहीं लगे होते हैं लेकिन सबको पता होता है कि यहाँ हर ब्रांड की शराब थोक और खुदरा दर पर मिलती है I एक बार तो अजीब घटना हुई I मैंने इशारे में पानी की बोतल मांगी, होटलवाले ने शराब की बोतल पकड़ा दी I शायद उसने मेरी ईच्छा भांप ली होगी I आजकल मैंने बिहार का दौरा बढ़ा दिया है I मैं वहां बार- बार जाता हूँ और वहां जब तक रहता हूँ, बिना नागा शराब पीता और लोगों को पिलाता हूँ I जब तक बेहोश न हो जाऊं, पीता रहता हूँ I वह पियक्कड़ ही क्या जो पीते-पीते बेहोश न हो जाए I साधारण लोग बेहोशी कहते हैं, मैं तो इसे ब्रह्मलीन अवस्था कहता हूँ I सचमुच उस अवस्था में ब्रह्म से साक्षात्कार होता है I

अब अवांतर कथा को छोड़ मूल कथा पर आता हूँ I मूल कथा यह कि मनुष्यों ने आरोप लगाया है कि चूहे नौ लाख लीटर शराब गटक गए I इस आरोप से चूहा जगत दुखी, उदास और आंदोलित है और आम सभा में मानव जाति के विरुद्ध ‘धिक्कार प्रस्ताव’ पारित करनेवाला है I सभी प्रकार के चूहे मैदान में एकत्रित हैं-काले चूहे, गोरे चूहे, लाल चूहे, हरे चूहे, सफ़ेद चूहे, सामान्य चूहे, विशिष्ट चूहे, देशी नस्ल के चूहे , विदेशी नस्ल के चूहे I पूरा मैदान चूहामय I सभी में आक्रोश I आज मनुष्यों की खैर नहीं I लाउडस्पीकर पर बज रहा है- चूहों से चूहों का हो भाईचारा, यही पैगाम हमारा…….I कुछ चूहों ने माथे पर लिखवा लिया है-मैं हूँ आम चूहा I इस भीड़ में कुछ बिलाड़ धर्मी चूहे भी घूस आए हैं जिनके मन में चूहों का नेता बनने की बलवती लालसा हिलोरें ले रही है I क्या पता आम के नाम पर विशिष्ट बनने की लॉटरी ही खुल जाए I

सर्वप्रथम आम सभा को सेकुलरवादी चूहा नेता बिलाड़ सिंह ने संबोधित किया – “ मेरे चूहा भाइयों ! आज हमारे सामने संकट की घडी आ गई है I हमें संगठित होकर सांप्रदायिक शक्तियों से लड़ना होगा I हम चाहते हैं कि हमारे लिए एक चूहांचल की स्थापना की जाए जहाँ पर हमारा शासन हो, कब तक हम मनुष्यों का अनाचार सहते रहेंगे I” इसके बाद साम्यवादी चूहा नेता चंचल कुमार ने सभा को संबोधित किया – “ दुनिया के चूहों एक हो I हम समाज के वंचित, दलित और प्रताड़ित चूहों को सदियों से सताया जा रहा है I हमारी प्रजाति को नष्ट करने के लिए मनुष्यों द्वारा तरह- तरह की मूसक मार दवावों का अविष्कार किया जा रहा है, हमारी संस्कृति, हमारी गौरवशाली परंपरा को समाप्त करने का षड्यंत्र किया जा रहा है I हम सभी को अपना जातीय अहं भूलकर संगठित होना होगा I “ सभा को वंचित समाज दल की नेत्री कुमारी चुहिया प्रसाद ने संबोधित किया – “ हमारे वंचित चूहा भाइयों ! हमारा अतीत बहुत स्वर्णिम रहा है लेकिन आदमियों ने हमारा इतिहास कलंकित कर दिया है I अब एक होने का समय आ गया है I एकता में शक्ति होती है I ये मानव बड़े स्वार्थी हैं I जब हां चौक- चौराहे पर चूहा नेताओं की मूर्ति स्थापित करने की मांग करते हैं तब मानव विरोध करते हैं I वंचित चूहा समाज के अमर नायकों की मूर्तियाँ सभी चौराहों पर स्थापित की जानी चाहिए ताकि उससे बेघर वंचित समाज को प्रेरणा मिल सके I” इसके बाद और कई चूहा नेताओं- नेत्रियों ने लफ्फाजी की, एकता के गीत गाए, धर्मनिरपेक्षता का फेविकोल बांटा I अंत में आम सहमति से मनुष्यों के खिलाफ एक धिक्कार प्रस्ताव पारित किया गया – “हम उन मनुष्यों के प्रति धिक्कार प्रस्ताव पारित करते हैं जो झूठ को ओढ़ते- बिछाते हैं, पाखंड को ही अपना जीवन दर्शन मानते हैं, धोखा देना जिनका धर्म है, गरीबों को सताने में जो गर्व अनुभव करते हैं, जिनका न्यायतंत्र इतना सुस्त, भ्रष्ट और निकम्मा है कि अपराध सिद्ध होने में ही दस- बीस साल लग जाते हैं, जो इतिहास के साथ खिलवाड़ और उसकी गलत व्याख्या करते हैं, जो सत्ता और पद प्राप्ति के लिए बौद्धिक चापलूसी करते हैं I”

*वीरेन्द्र परमार

जन्म स्थान:- ग्राम+पोस्ट-जयमल डुमरी, जिला:- मुजफ्फरपुर(बिहार) -843107, जन्मतिथि:-10 मार्च 1962, शिक्षा:- एम.ए. (हिंदी),बी.एड.,नेट(यूजीसी),पीएच.डी., पूर्वोत्तर भारत के सामाजिक,सांस्कृतिक, भाषिक,साहित्यिक पक्षों,राजभाषा,राष्ट्रभाषा,लोकसाहित्य आदि विषयों पर गंभीर लेखन, प्रकाशित पुस्तकें :1.अरुणाचल का लोकजीवन 2.अरुणाचल के आदिवासी और उनका लोकसाहित्य 3.हिंदी सेवी संस्था कोश 4.राजभाषा विमर्श 5.कथाकार आचार्य शिवपूजन सहाय 6.हिंदी : राजभाषा, जनभाषा,विश्वभाषा 7.पूर्वोत्तर भारत : अतुल्य भारत 8.असम : लोकजीवन और संस्कृति 9.मेघालय : लोकजीवन और संस्कृति 10.त्रिपुरा : लोकजीवन और संस्कृति 11.नागालैंड : लोकजीवन और संस्कृति 12.पूर्वोत्तर भारत की नागा और कुकी–चीन जनजातियाँ 13.उत्तर–पूर्वी भारत के आदिवासी 14.पूर्वोत्तर भारत के पर्व–त्योहार 15.पूर्वोत्तर भारत के सांस्कृतिक आयाम 16.यतो अधर्मः ततो जयः (व्यंग्य संग्रह) 17.मणिपुर : भारत का मणिमुकुट 18.उत्तर-पूर्वी भारत का लोक साहित्य 19.अरुणाचल प्रदेश : लोकजीवन और संस्कृति 20.असम : आदिवासी और लोक साहित्य 21.मिजोरम : आदिवासी और लोक साहित्य 22.पूर्वोत्तर भारत : धर्म और संस्कृति 23.पूर्वोत्तर भारत कोश (तीन खंड) 24.आदिवासी संस्कृति 25.समय होत बलवान (डायरी) 26.समय समर्थ गुरु (डायरी) 27.सिक्किम : लोकजीवन और संस्कृति 28.फूलों का देश नीदरलैंड (यात्रा संस्मरण) I मोबाइल-9868200085, ईमेल:- [email protected]