राष्ट्रघाती प्रचार
गुजरात चुनाव प्रचार हास्यास्पद मोड़ पर पहुच गया है जहाँ तमाम विलेन मिलकर एक हीरो को मुंह चिढाने में लगे हैं। कांग्रेस के अनुसार राहुल गुजरात में एक लोकप्रिय नेता के रूप में उभरे हैं लेकिन समझ में नहीं आता कि जब वे गुजरात में इतने लोकप्रिय हैं तो उन्हें जातिवादी शक्तियों से हाथ मिलाने की क्या जरुरत है। उनको उन बातों को मानने की क्या जरुरत है जो न तो न्याय संगत हैं और न ही संविधान सम्मत ! उस आग को हवा क्यों दे रहे हैं जो पहले से ही जाट, गुर्जर और मराठा आरक्षण के रूप में देश के बिभिन्न भागों में जल रही है। इसका दूरगामी परिणाम क्या होगा, आरक्षण वादियों को इसे समझने की जरुरत है। कांग्रेसी प्रचार नासमझी की सारी हदें पार कर चुका है और दलित तथा पिछड़ा बर्ग अगर अल्पेश और जिग्नेश को चमकाने के लिए उनके साथ जा रहा है तो इसकी कीमत इसी समाज को चुकानी पड़ेगी। कांग्रेस इस समय मुंगेरी लाल के सपने देख रही है, उसे लग रहा है कि अगर गुजरात में मोदी हार गए तो राहुल गाँधी तुरंत प्र म बन जायेंगे। लगता है जैसे मोदी सिर्फ गुजरात के बूते पर प्र म बने हैं। गुजरात का नतीजा कुछ भी आवे मोदी की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है, असर गुजरात की सेहत पर पड़ेगा। पूरा देश जान जायेगा कि आज के गुजरात के पटेल की निष्ठा सरदार पटेल के साथ नहीं, हार्दिक पटेल के साथ है। इस सारे प्रकरण में फजीहत दलितों की ही होनी है, इन्हें यह समझना होगा कि आज जो काम कांग्रेस कर रही है वह काम मोदी भी कर सकते थे, लेकिन उन्हें संविधान के प्रति निष्ठा और दलितों के प्रति चिंता ने ऐसा नहीं करने दिया। अब आगे का फैसला दलितों और पिछड़े बर्ग के लोगों को करना है।