कविता

// यह क्यों…? //

// यह क्यों…? //

दलितों की उन्नति पर
व्यंगय, परिहास क्यों ?
आक्रोश, जलन है नित्य
आरक्षण के खिलाफ ?

हजारों सालों से
जाति, धर्म, सांप्रदाय के नाम पर
वर्ण, जाति, वर्ग की नीति
सवर्ण के सुख भोग की रचना नहीं?
दलितों का दमन, शोषण, अत्याचार,
इस धोखाधड़ी का कौन सा नाम दें?

अधर्म, अन्याय से मुक्ति पाकर
स्वतंत्रता के पंख पसारना
सामाजिक अधोगति मानते हो?
हमारी समानता की भावनाएँ,
चाल – चलन, पोशाक,
मानवतावादी चिंतन
क्या , तुम्हारी आँखों में
काँटे की तरह है, खटकती?

बलवानों की कुटिल नीति है,
भेद – विभेदों के जाल में
हमारी एकता को बंदी बनाना?
सत्य, धर्म ,अहिंसा व्रती को
अपनी मुट्ठी में कुचले रहना,
मनुवाद का मर्म है, खोलके देखो?

पी. रवींद्रनाथ

ओहदा : पाठशाला सहायक (हिंदी), शैक्षिक योग्यताएँ : एम .ए .(हिंदी,अंग्रेजी)., एम.फिल (हिंदी), सेट, पी.एच.डी. शोधार्थी एस.वी.यूनिवर्सिटी तिरूपति। कार्यस्थान। : जिला परिषत् उन्नत पाठशाला, वेंकटराजु पल्ले, चिट्वेल मंडल कड़पा जिला ,आँ.प्र.516110 प्रकाशित कृतियाँ : वेदना के शूल कविता संग्रह। विभिन्न पत्रिकाओं में दस से अधिक आलेख । प्रवृत्ति : कविता ,कहानी लिखना, तेलुगु और हिंदी में । डॉ.सर्वेपल्लि राधाकृष्णन राष्ट्रीय उत्तम अध्यापक पुरस्कार प्राप्त एवं नेशनल एक्शलेन्सी अवार्ड। वेदना के शूल कविता संग्रह के लिए सूरजपाल साहित्य सम्मान।