कविता

ख्वाइश…

मेरी ख्वाइश तेरी चाहत की
हद से गुजर
एक इबादत सी हो गई है !!

तू जितना दूर है मुझसे
मेरे दिल को उतना ही
तेरे करीबी का सुकून है !!

जिस्म तो राख का ढेर है
जान तो धड़कनों की सच्चाई में
मोह्हबत खुदा है खुदा ही साँसें
उन साँसों पे बस तेरा नाम लिखा !!

जवां होती है ख्वाइशें
सुबह से शाम की तरह
सेज सजाती हूँ हार रात
दिल के अरमानों का !!

*बबली सिन्हा

गाज़ियाबाद (यूपी) मोबाइल- 9013965625, 9868103295 ईमेल- [email protected]