गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

निर्दयी कंस सा’ दानव कोई मामा न हुआ
सच यही बात कि उस सा कोई पैदा न हुआ |

रोज़ ही हादसा’ क्यों हो रहा’ है रेल में’ अब
रेल बन जायगा’ अब गोर, गर अच्छा न हुआ |

हादसा-ए रेल में निर्दोष ही’ मारे गये’ हैं
धायलों को भी’ सहारा दवा’ देना गवारा न हुआ |

ज़ख्म सीने का’ सदा रिसता’ रहा बारम्बार
मन सरोवर गया’ भर, किन्तु दरिया न हुआ |

अटपटा ख़ूब लगा जब कोई आवाज़ न दी
रहनुमा को सज़ा, फिर भी कोई फ़ित्ना न हुआ |

थी बहुत शक्त सुरक्षा, हवा’ भी गर्म बहुत
देखने भीड़ बहुत किन्तु, तमाशा न हुआ ?

अब बनेंगे नये’ मंत्री सभी’ उत्सुक जानने
कौन अन्दर, मिली’ किसको सज़ा, चर्चा न हुआ |

सात जन्मों का’ है’ बंधन, यही’ कहते पंडित
सात जन्मों कहाँ’ इक जन्म निभाना न हुआ |

क्या है सच्चा जहाँ’ इंसान बना ले डेरा
जायदादों को’ जला शक्ति दिखाना न हुआ ?

इंतज़ार और करे क्या, है’ अँधेरा ‘काली’
दो पहर ढल चुका है किन्तु उजाला न हुआ |

कालीपद ‘प्रसाद’

*कालीपद प्रसाद

जन्म ८ जुलाई १९४७ ,स्थान खुलना शिक्षा:– स्कूल :शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ,धर्मजयगड ,जिला रायगढ़, (छ .गढ़) l कालेज :(स्नातक ) –क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान,भोपाल ,( म,प्र.) एम .एस .सी (गणित )– जबलपुर विश्वविद्यालय,( म,प्र.) एम ए (अर्थ शास्त्र ) – गडवाल विश्वविद्यालय .श्रीनगर (उ.खण्ड) कार्यक्षेत्र - राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कालेज ( आर .आई .एम ,सी ) देहरादून में अध्यापन | तत पश्चात केन्द्रीय विद्यालय संगठन में प्राचार्य के रूप में 18 वर्ष तक सेवारत रहा | प्राचार्य के रूप में सेवानिवृत्त हुआ | रचनात्मक कार्य : शैक्षणिक लेख केंद्रीय विद्यालय संगठन के पत्रिका में प्रकाशित हुए | २. “ Value Based Education” नाम से पुस्तक २००० में प्रकाशित हुई | कविता संग्रह का प्रथम संस्करण “काव्य सौरभ“ दिसम्बर २०१४ में प्रकाशित हुआ l "अँधेरे से उजाले की ओर " २०१६ प्रकाशित हुआ है | एक और कविता संग्रह ,एक उपन्यास प्रकाशन के लिए तैयार है !