लघुकथा

बेवकूफ़ !

अर्पना जैसे ही गाड़ी से निकली, गाड़ी के दरवाज़े से पैदल चल रहे मज़दूर को ठोकर लग गई और वो एकदम से नीचे गिर गया। अर्पना परेशान हो गई, उसे उठाने ही लगी थी कि दूसरी तरफ से पतिदेव की आवाज़ आई बेवकूफ़ रहने दे वो खुद ही उठ जाएगा। पर अर्पना का ह्रदय बहुत ही कोमल था और ऊपर से उसकी वजह से ही वो नीचे गिरा, हालांकि चोट नहीं आई थी वो अपने ध्यान से चल रहा था और अपना आप संभाल नहीं सका। वो आदमी उठ गया और अर्पना ने पूछा साॅरी भैया मैने देख के दरवाजा नहीं खोला आपको लगी तो नहीं। उस आदमी ने होंठों पर हल्की मुस्कान से कहा नहीं ठीक हूँ। थोड़ी तबीयत खराब भी थी बुखार हो रखा था, उठाने में मदद के लिए धन्यवाद। आप अच्छे हो दीदी वरना कईं लोग तो देखकर भी  आगे निकल जाते हैं, हमारे लिए कौन रुकता है उल्टा हमें ही डांटते हैं कि दिखाई नहीं देता। अर्पना के पति अभी  भी  अर्पना को देखकर हंस रहे थे और कह रहे थे तुम एक नं की बेवकूफ़ हो ! तुम्हें पता नहीं ऐसे लोगो का। अर्पना सोच रही थी क्या फर्क था ! कुछ भी  तो नहीं ।

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |