कविता
तुम्हारी लम्बी उम्र के लिए माँग में सिंदूर सजाया मैंने,
तुम ही हो सरताज मेरे बताने को बिंदिया सजाई मैंने,
कभी नजर ना लगे तुम्हें आँखों में काजल लगाया मैंने,
तुम्हारे सुख समृद्धि के लिए चूड़ियों से भरी कलाई मैंने।
होंठों पर लाली लगाई तुम्हारे चेहरे की रंगत के लिए,
तुम्हारे लिए प्यार से मेहँदी हाथों में अपने रचाई मैंने।
पायल पहनी पैरों में मेरे होने का अहसास दिलाने को,
तुम्हें मदहोश करने को जुल्फें चेहरे पर लटकाई मैंने।
सोलह श्रृंगार करके सुलक्षणा ने ओढ़ी चुनरी लाज की,
तुम्हारी मोहब्बत से दुल्हन सी सजाई कविताई मैंने।
©️®️ डॉ सुलक्षणा अहलावत