चुनावे क्षेत्र अपने-अपने
एक वक्त पे उड़ाया था कीचड़ मैंने भी,
तुमने भी मुझपर गिराया था बहुत सारा।
आज राहे मुहब्बत क़दम बढ़ाया मैंने भी,
तूनें भी हांथ मिलाया हमसे बनके हमारा।
धोखा दें कौम को चलो हम अपने-अपने,
तोडें हम, हमसे पाले जो सपने अपने,
स्वार्थ सिद्धि में झूठें चलो बन जाएं हम,
फिर लड़ेगे तुमसे, चुनावे क्षेत्र अपने-अपने।।
।। प्रदीप कुमार तिवारी।।
करौंदी कला, सुलतानपुर
7978869045