कविता

तुम्हारा चले जाना…..

सोच रहा मन
अकेलेपन की तन्हाईयों में
कल और आज में
कितना फर्क है

कल तक जो
मुहब्बत का दम भरता था
आज मुंह फेर चला गया….
एकपल को मुड़कर भी नहीं देखा

बस जाते-जाते दे गया
जिंदगी भर का गम….
मेरी सच्ची मुहब्बत
उसके दिए दर्द को
कभी भुला नहीं पाएगी

ये मुहब्बत !
मुहब्बत नहीं धोखा है
वफा के बदले दगा है…

बांध लेता प्रेम आकर्षण में
आशिक को
फिर आहिस्ता-आहिस्ता
जिंदगी भर दर्द बनकर चुभता है….

*बबली सिन्हा

गाज़ियाबाद (यूपी) मोबाइल- 9013965625, 9868103295 ईमेल- [email protected]