नहीं पहुंचा
यार पुचकार तक नहीं पहुंचा
ज़ाम दीदार तक नहीं पहुंचा
डूबना चाह इश्क के सागर
धार मझधार तक नहीं पहुंचा
झेलता ही रहा मुझे अब तक
प्यार दुश्वार तक नहीं पहुंचा
साथ वर्षो तलक रहा मेरे
आज स्वीकार तक नही पहुंचा
बात सारी समझ रहा है वो
रोज बेकार तक नही पहुंचा
नैन हमसे लड़ा रहा है वो
देख परिवार तक नही पहुंचा
वो संवरता रहा सुबह से अब
शाम तैयार तक नही पहुंचा
प्रेम बारिश झनन -झनन होती
चीर दिल पार तक नही पहुंचा
खूब वादा करे हमेशा से
मिल न इज़हार तक नही पहुंचा