गज़ल – हमसफ़र चाहिए जिंदगी के लिए
राह तो हो हंसी हमनवी के लिये
हमसफ़र चाहिए जिंदगी के लिए|
हो बढे से कदम बेबसी में लिये
जिंदगी में खुशी दोस्ती के लिये|
हो निडर बस दबी में घड़ी के लिये
काम आ यूँ लगे आदमी के लिये |
साथ हो ले चले मुफलिसी के लिये
वायदे हो यकी आपसी के लिये |
जो बढ़ी हैं सदी ले नये के लिये
हो अदव बस बना बेखुदी के लिये |
न बसर हो कटे से शजर के लिये
बस बना हौसला सा बढ़ी के लिये |
— रेखा मोहन