पुकार
हर वक्त पुकारा है
भगवान, आपको मैंने
जब द्रोपदी की तरह
चीर हरण हो रहा था मेरा
राज सभा हंस रही थी मुझ पर
तब भी, जब
सीता की तरह
त्यक्त कर दी गई थी मैं
अकारण,
सिर्फ धोबी की बातें सुनकर
या फिर
अहिल्या की तरह,जब
पत्थर की हो जाती हूं मैं
हर बलात्कार के बाद
या फिर, जब
मार दिया जाता है
जन्म लेने से पहले
मुझे हर बार
परंतु भगवान
आप तो शांत है
चेहरे की कृत्रिम मुस्कुराहट के साथ
लगता है
पत्थर की हो गई है
आपकी आंखें
पत्थर में रहने के कारण
आप भी पत्थर के हो गए हैं
और
आपका हृदय भी हो गया है
पत्थर का