कवितापद्य साहित्य

// इंतजार में .. //

// इंतजार में.. //

संसार के ये घने बादल
घुमड़ – घुमड़कर
घेरे मुझे, गर्जन करते हैं
बरसात की अविचल धारा बन
बिगोते चले जाते हैं
मैदान भूमि में,डटे रहते
जिंदगी का खेल खेलते
अविश्रांत खिलाड़ी हूँ मैं,
विजय का परिहास
और कितने दिन रहते हैं
काल की कठोरता में
मेरा भी हाथ क्यों न होगा
अमरता की अर्हता पाते
साधना के ये अक्षर …
परिणति का पात्र बनते
अपनी अस्मिता दिखाते
मानवता का रौनक
जरूर क्यों न बनेंगे..?

पी. रवींद्रनाथ

ओहदा : पाठशाला सहायक (हिंदी), शैक्षिक योग्यताएँ : एम .ए .(हिंदी,अंग्रेजी)., एम.फिल (हिंदी), सेट, पी.एच.डी. शोधार्थी एस.वी.यूनिवर्सिटी तिरूपति। कार्यस्थान। : जिला परिषत् उन्नत पाठशाला, वेंकटराजु पल्ले, चिट्वेल मंडल कड़पा जिला ,आँ.प्र.516110 प्रकाशित कृतियाँ : वेदना के शूल कविता संग्रह। विभिन्न पत्रिकाओं में दस से अधिक आलेख । प्रवृत्ति : कविता ,कहानी लिखना, तेलुगु और हिंदी में । डॉ.सर्वेपल्लि राधाकृष्णन राष्ट्रीय उत्तम अध्यापक पुरस्कार प्राप्त एवं नेशनल एक्शलेन्सी अवार्ड। वेदना के शूल कविता संग्रह के लिए सूरजपाल साहित्य सम्मान।